Monday, November 2, 2015

गुमशुदा की तलाश: विकास तुम कहाँ हो?

प्यारे विकास, तुम्हारा इंतज़ार कर के आँखें पथरा गई हैं, आ जाओ अब और कितना इंतज़ार करवाओगे? सुना है तुमको विदेशों में रहने की लत लग गई है। हम में से कुछ लोग तुम्हें ढूँढने विदेश गए थे। अभी भी जाते रहते हैं। कइयों का कहना है वहाँ तुम सभी जगह दिखते हो और यह लोग वहीं तुम्हारे पास ही रह गए हैं। कुछ लौट आए हैं, कहते हैं कि वहाँ तुम नहीं हो तुम्हारा हमशकल विदेशी है। हमारे राजनेता बड़े भले लोग हैं। विदेशी विकास को देखने जाते हैं पर उसके झाँसे में नहीं आते। कहते हैं हमारा अपना देसी विकास आएगा। पर तुम बेदर्द हो, आते ही नहीं। अब तो तुम बूढ़े भी हो चले होगे। पर क्या पता? तुम्हारे दर्शन करके आने वाले नेता तो तुम्हारी दुगुनी उमर तक जवान बने रहते हैं।

लेकिन बचुआ अब तुम आ ही जाओ। दिल्ली हो चाहे बिहार या फिर चाहे UP, तुम्हारा फ़ोटू दिखा कर सब हमको ठग रहे है, देश का खजाना लूट रहे हैं। आ जाओ हम तुमको विश्वास दिलाते हैं कि भाजपा, कांग्रेस, आप सबसे तुम्हें बचाएँगे।  कोई तुम्हें कुछ नहीं कहेगा। आ जाओ हम कहीं तुमसे मिले बिना ही वापस न हो जाएँ।

नोट: विकास का हुलिया तो नेता लोग आधी शताब्दी से बता ही रहे हैं। लाने वाले को हम भारत के लोग इनाम में हर कुर्सी देने को तैयार हैं। हमें विकास से इतना लगाव है कि लोगों ने उसे लाने के वादे पर ही कुर्सी हमसे हासिल कर ली है।

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